जीडीए के नए उपाध्यक्ष क्या लगा पाएंगे प्रवर्तन जोन 03 अंतर्गत हो रहे अवैध निर्माणों पर अंकुश।

. पूर्व में हुए सैकड़ों अवैध निर्माण, अब भी सैकड़ों हैं जारी, कोई अधिकारी नहीं लगा पाया अब तक अंकुश

. वर्षों से एक ही प्राधिकरण में जमे बैठे रहने के चलते कुछ अभियंताओं ने कर ली हैं अपनी जड़े इतनी मजबूत की उन्हें शासन/प्रशासन का भी नहीं रह गया है कोई भय)

. जोन अभियंताओं के संरक्षण के चलते बिल्डर्स व अवैध निर्माणकर्ताओं को भी जीडीए का नहीं रह गया है कोई भय

डाटला एक्सप्रेस संवाददाता

गाज़ियाबाद:-जीडीए के प्रवर्तन जोन 03 अंतर्गत आने वाले पटेल नगर कॉलोनी के प्लॉट संख्या B-262 पटेल नगर, B 203 पटेल नगर, C 03 पटेल नगर, A 152 पटेल नगर, A 162 पटेल नगर पर क्षेत्र का कार्यभार संभाल रहे अवर अभियंता के संरक्षण से जीडीए निर्माण मानकों का निर्माणकर्ताओं द्वारा खुलेआम उल्लंघन कर अवैध निर्माण को अंजाम दिया जा रहा है जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं। 

उपर्युक्त अवैध निर्माणों से कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार से हैं

1-प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत मानचित्र के बिल्कुल विपरीत किया गया व किया जा रहा है अवैध निर्माण।

2-नही छोड़ा गया है सेट बैक एरिया, भू-आच्छादन नियमों की खुलेआम उड़ाई गई हैं धज्जियां, FAR नियमों का किया गया है उल्लंघन यानी अनुमन्य से अधिक किया गया है निर्माण।

3-अतिरिक्त निर्माण के आधे से भी कम का करवाया गया है शमन जिसके चलते प्राधिकरण को राजस्व का उठाना पड़ा है नुकसान।

4-पार्किंग एरिया को घेर किया गया है निर्माण जिसे संलग्न छायाचित्र मे भी देखा जा सकता है।

5-उक्त अवैध निर्माण से संबंधित प्राधिकरण को समय समय पर प्राप्त जनशिकायतों पर जांच अधिकारियों द्वारा भ्रामक व झूठी आख्याएं प्रेषित कर शाशन, प्रशासन व विभाग की आँखों में झोंकी गई है धूल, नतीजतन आज उक्त अवैध निर्माण लगभग बन कर पूरा हो चुका है।

जीडीए में कई सहायक व अवर अभियंता ऐसे हैं जिन्हें जीडीए में तैनाती मिले 10 बर्षों से अधिक हो गया है, इनमे से अधिकतर अभियंताओं द्वारा उनकी तैनाती से लेकर अब तक अधिकतर प्रवर्तन जोनों के ही कार्य देखे गए हैं हाँ यदि बीच में इनके संरक्षण में हो रहे अवैध निर्माणों से जुड़ी कोई समस्या आ जाती है तो जीडीए के किसी दूसरे अनुभाग मे कुछ समय जब तक मामला ठंडा ना पड़े अपना स्थानांतरण ले लेते हैं जब मामला ठंडा हो जाता है या तो उसी जोन में जहां से वह आए थे या किसी अन्य प्रवर्तन जोन में अपना तबादला करवा पुनः अवैध निर्माणों को संरक्षण दे उनसे हुई मोटी काली कमाई से अपनी जेबे भरने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन करना शुरू देते हैं। जिसमें कुछ पुराने व प्रभावशाली सुपरवाइज़र्स भी इनका भरपूर साथ देते हैं, वह भी कुछ ऐसे ही अंदरुनी ट्रांसफ़र-ट्रांसफ़र का खेल खेलते हुए वर्षों से प्रवर्तन जोनों से मोटी काली कमाई करने में कामयाब हो चुके हैं जो आज भी बदस्तूर जारी है।

इन बातों की तस्दीक यदि कोई करना चाहे तो उसके लिये गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण का प्रवर्तन जोन 03 सबसे बड़ा हाॅट स्पॉट होगा, उक्त क्षेत्र मे कई निर्माण काग़ज़ों मे सील बंद और पुलिस अभिरक्षा मे हैं एवं कइयों के वाद माननीय न्यायालय मे लंबित पड़े हैं, बावजूद इसके कुछ भ्रष्‍ट अधिकारियों के चलते उन सभी निर्माणों को निर्माणकर्ताओं द्वारा समय-समय पर इस क्षेत्र का कार्यभार संभाल रहे अवर अभियंताओं के साथ सांठगांठ कर पूरा किया गया जो आज भी बदस्तूर जारी है। जीडीए उच्चाधिकारी रोजाना अवैध निर्माणों के विरुद्ध सख्त रुख होने के चाहे लाख दावे करते रहे किन्तु जमीनी सच्चाई यही है कि वह भी अवैध निर्माणों को रोक पाने मे असमर्थ हैं, जो कि इस क्षेत्र का कुछ देर भ्रमण करने पर ही प्रतीत हो जाता है, क्यूंकि यहां हर 100 मीटर की दूरी पर हो रहे अवैध निर्माण जीडीए की काली सच्चाई को बयां करता है।

दरअसल अवैध निर्माणों को पूरा करवाने के लिये जीडीए मे तैनात कई अवर अभियंता एक सिस्टम के तहत काम करते हैं जिसमें जब कोई व्यक्ति अपने भू खंड पर भवन आदि के निर्माण हेतु नक्शा स्वीकृत करवा निर्माण कार्य शुरू करता है उसके कुछ समय पश्चात इनका क्षेत्रीय सुपरवाइजर मौके पर पहुच निर्माणकर्ता को मानचित्र के विपरीत निर्माण करने के लिये धारा 27 (1) के तहत प्रपत्र ब यानी कारण बताओ नोटिस थमा किसी दिनांक के फला समय पर सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत हो अवैध निर्माण करने के कारणों को बताने के लिये कहता है, यह नियम उन घाघ अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों पर लागू नही होता जिनसे इन अभियंताओं की पुरानी सांठगांठ होती है और जो बड़े-बड़े अवैध निर्माण इन्हीं अभियंताओं के संरक्षण मे करते हैं, खैर डरा सहमा निर्माणकर्ता जब नियत तिथि एवं समय पर प्राधिकरण मे सक्षम अधिकारी के समक्ष पहुंचता है जो ज्यादातर क्षेत्रीय अवर अभियंता ही होता है, तो उससे उसकी मानसिक स्थिति का फायदा उठाते हुए प्लॉट के साइज, कितना अतिरिक्त निर्माण हुआ है और उस पर कितना जुर्माना बैठता है आदि-आदि चीजों के आधार पर उससे अंडर टेबल भारी लेन देन किया जाता है जिसके बाद उस निर्माणकर्ता को मानचित्र के बिल्कुल विपरीत जुर्माना एवं अतिरिक्त किये गये निर्माण के कुछ का शमन कर बाकी बचा अतिरिक्त निर्माण शमन एवं जुर्माना रहित करने के लिये छोड़ दिया जाता है, और यदि कोई अवैध निर्माण की होने की शिकायत करता है तो उसकी जांच उसी अवर अभियंता के पास आती है जिसके संरक्षण में अवैध निर्माण फल फूल रहा होता है जिसमें वह अपनी रटिरटाई आख्या जिसमें अधिकतर यही लिखा होता है उत्तर प्रदेश नगर योजना व विकास अधिनियम (यथा संशोधित) 1973 की सुसंगत धाराओं के कार्यवाही की गई है आदि-आदि और इसी भ्रामक व झूठी आख्या की आड़ में मौके पर चल रहा अवैध निर्माण धीरे-धीरे पूरा कर लिया जाता है।

यदि यह बहाने भी ना चले और बात बनती हुई ना दिखाई दे तो तो अवैध निर्माणों से जुड़ी कई जनशिकायतों की जांच में जाँच अधिकारी शिकायतकर्ता को ही दुराग्रही, पूर्वाग्रह से ग्रसित, ब्लैकमेलर, आदि शिकायतकर्ता बता शिकायतों का निस्तारण कर देते हैं, यह मेरे कोई सुनी सुनाई बात नहीं है यदि कोई विशेष जांच टीम प्रवर्तन जोन 03 में प्राप्‍त अवैध निर्माणों से संबंधित शिकायतों पर जांच अधिकारी द्वारा प्रेषित की गई आख्याओं की ही केवल जांच करें तो वह पाएंगे कि यह बात किस हद तक सत्य है और किस तरह वर्षों से हजारों अवैध निर्माणों को इन्हीं अनर्गल जांच आख्याओं का सहारा लेकर पूरा करवाया गया है जो आज भी निरंतर बिना किसी रोक टोक के चालू है। सबसे ज्यादा हास्यास्पद बात तो यह है जिस प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में कोई व्यक्ति अपने पूर्व निर्मित मकान की छत पर बिना चढ़ावे के एक कमरा तक नहीं बना पाता उसी प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आज सैकड़ों अवैध निर्माण प्रगति पर हैं और उनकी जोन अभियंताओं को जानकारी ना हो ऐसा असंभव है।

हमारे द्वारा प्रवर्तन जोन 03 (तीन) क्षेत्र में हो रहे ऐसे ही सैकड़ों अवैध निर्माणों व अभियंताओं के संरक्षण मे काटी जा रही अवैध कालोनियों की जानकारियां जुटाई गई हैं व कईयों कि जुटाई जा रही हैं जिन्हें निरंतर जनपद/मंडल/शाशन स्तर पर भेज जीडीए प्रवर्तन जोन 03 मे व्याप्त भारी भ्रष्टाचार से अवगत करवाया जाएगा।

स्वीकृत नक्शे की आड़ मे किए जा रहे अवैध निर्माण की तस्वीरें।







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