वरिष्ठ कवियित्री ममता शर्मा "अंचल" द्वारा रचित एक खूबसूरत रचना "जो न समझते पाक मुहब्बत" आपको सादर प्रेषित

 डाटला एक्सप्रेस की प्रस्तुति


जो न समझते पाक मुहब्बत

उन खातिर है खाक मुहब्बत

जिन्हे तजुर्बा नहीं इश्क का

उनको रहती ताक मुहब्बत

नफ़ा खोजते हैं जो इसमें

उनकी है चालाक मुहब्बत

जो खुद में उलझे रहते हैं

होते देख अवाक मुहब्बत

करते हैं जो सच्चे दिल से

जग में उनकी धाक मुहब्ब

जिसने इसको समझा" अंचल"

करते वो बेबाक मुहब्बत।।।।



ममता शर्मा "अंचल"

अलवर (राजस्थान)लिखने की तिथि:-28.9.2023

Comments
Popular posts
एडवोकेट सोनिया बोहत को बाला जी मंदिर कमेटी ने किया सम्मानित
Image
भक्त कवि श्रद्धेय रमेश उपाध्याय बाँसुरी की स्मृति में शानदार कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन।
Image
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की छत्रछाया में अवैध फैक्ट्रियों के गढ़ गगन विहार कॉलोनी में हरेराम नामक व्यक्ति द्वारा पीतल ढलाई की अवैध फैक्ट्री का संचालन धड़ल्ले से।
Image
सरकारी राशन की दुकान मालिक मैसर्स अब्दुल कलाम व अरविंद कुमार उड़ा रहे राज्य सरकार के आदेशों की धज्जियां
Image
जर्जर बिजली का खंभा दे रहा हादसे को न्यौता, यदि हुआ कोई हादसा तो होगा भारी जान माल का नुकसान।
Image