डाटला एक्सप्रेस की प्रस्तुति
दो कजरारी आँखों में
इन उजियारी आँखों में
सारी दुनिया दिखती है
हमें तुम्हारी आँखों में
निजहित सँग परहित पाया
नित उपकारी आँखों में
किन्तु दर्द किसलिए बसा
आज दुलारी आँखों में
कैसे आई है कहिये
यह लाचारी आँखों में
धैर्य धरो जी सब कुछ है
इन संसारी आँखों में
सुख दुख दोनो आते हैं
बारी बारी आँखों में
ज्यों अंचल को प्यार मिला
प्यारी प्यारी आँखों में
ममता शर्मा "अंचल"
अलवर (राजस्थान)
7220004040