प्रस्तुति डाटला एक्सप्रेस
दिल में दमकती नीलम,
पथ जीवन संगिनी है।
अंतस में प्रेम धारा,
तन रूप कुंदनी है।
मानकर अग्नि को साक्षी,
जो ली थी सात फेरे।
मेरे संग संग चली है,
हाथों को थाम मेरे।
हम स्वर में साज भरती,
धड़कन की रागिनी है।
दिल में दमकती नीलम,
पथ जीवन संगिनी है।
खुशियों से खिलता आंगन,
महकता मेरा घर है।
यह खुशक़िस्मती हमारी,
खूबसूरत हमसफर है।
गीतों की मेरी सरगम,
सुसंगीत वादिनी है।
दिल में दमकती नीलम,
पथ जीवन संगिनी है।
गीतकार कुंदन उपाध्याय "जयहिंद"
पिपरा गौतम-बस्ती (उ०प्र)