प्रस्तुति डाटला एक्सप्रेस
आप दिल की किताब हो जाओ
जिंदगी का हिसाब हो जाओ
आपको पढ़ सकूँ सलीके से
दो घड़ी माहताब हो जाओ
मीत मैं प्यार का सवाल बनूँ
आप झट से जवाब हो जाओ
दर्द का दौर जब कभी आए
आँख मैं आप आब हो जाओ
जागते में अगर न हो मिलना
नींद मैं आप ख्वाब हो जाओ
रूह पाकर महक जरा खुश हो
आप खिलता गुलाब हो जाओ
हार भी जीत सी लगे मुझको
आप ऐसा ख़िताब हो जाओ
सिर्फ आँखों मे लाज हो "अंचल"
आप बस वो हिज़ाब हो जाओ।।
ममता शर्मा "अंचल"
अलवर (राजस्थान)