हँस लेते हैं "लेखक ममता शर्मा"

प्रस्तुति 'डाटला एक्सप्रेस' 


चाहे जितने भी हों ग़म हम हँस लेते हैं

पलक भले रहती हों नम हम हँस लेते हैं

दूरी में भी नज़दीकी के ख्वाब देखकर

ख़ुशी- ख़ुशी जीकर हरदम हम हँस लेते हैं

बरस रही है मौत महामारी बन सब पर

भले फिक्र का है आलम हम हँस लेते हैं

मोरों का स्वर नहीं आज संकेत मेघ का

बदल गया चाहे मौसम हम हँस लेते हैं

यहाँ वहाँ सब बंद बची हैं केवल साँसे

देख वक्त पर छाया तम हम हँस लेते हैं

दुखी सभी हैं हम भी तुम भी ये भी वो भी

फिर भी ज़्यादा या कुछ कम हम हँस लेते हैं

दुनिया में दुख इसके या उसके कारण है

नहीं पालते कभी वहम हम हँस लेते हैं

डरना मरने से बदतर है यही मानकर

जिंदा रख अपना दमखम हम हँस लेते हैं।।।।


ममता शर्मा "अंचल"

Comments
Popular posts
एडवोकेट सोनिया बोहत को बाला जी मंदिर कमेटी ने किया सम्मानित
Image
भक्त कवि श्रद्धेय रमेश उपाध्याय बाँसुरी की स्मृति में शानदार कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन।
Image
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की छत्रछाया में अवैध फैक्ट्रियों के गढ़ गगन विहार कॉलोनी में हरेराम नामक व्यक्ति द्वारा पीतल ढलाई की अवैध फैक्ट्री का संचालन धड़ल्ले से।
Image
सरकारी राशन की दुकान मालिक मैसर्स अब्दुल कलाम व अरविंद कुमार उड़ा रहे राज्य सरकार के आदेशों की धज्जियां
Image
जर्जर बिजली का खंभा दे रहा हादसे को न्यौता, यदि हुआ कोई हादसा तो होगा भारी जान माल का नुकसान।
Image