लेखिका चन्द्रकांता सिवाल "चंद्रेश"
करोल बाग (दिल्ली)
सतरंगी मारवाड़
छवि निराली शोभती, राजस्थानी अनुपम।
कला संस्कृति गौरव का, एक अनूठा संगम।।
वीर वांकुरों की भूमि, गाता जन जन गान।
कण कण में बसता है, गौरव हिन्द महान।।
इसकी मिट्टी में जन्मे, ऐसे - ऐसे लाल।
दमका जिनके तेज से, भारत माँ का भाल।।
जोधपुर से जैसलमेर, बढ़ा प्रेम का भाव।
एक संघ में विलय हुए, जयपुर जनमत गाँव।।
सादर सेवा सत्कार, इसकी ये ही रीत।
अतिथि देवो भव की, सदा निभाई प्रीत।
स्नेह स्वागतम आपका, पधारों म्हारे देश।
सत रंगों से है सजा, म्हारा ये घरवेश।।
इस मिट्टी का है नहीं, सकल जगत में मोल।
राजस्थान मना रहा, आज दिवस अनमोल।।
इसके गौरव का सदा, भरता भाव विशेष।
कोटि कोटि नमन करूं, इस मिट्टी को "चंद्रेश"
प्रस्तुति:-डाटला एक्सप्रेस समाचार पत्र/8800201131/datlaexpress@gmail.com