जीडीए प्रवर्तन जोन 03 के स्वर्ण जयंतीपुरम् में आयी अवैध निर्माणों की बाढ़

 


डाटला एक्सप्रेस


गाज़ियाबाद: अभी-अभी पूर्व वित्त एवं गृह मंत्री पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी देखकर ऐसा लगता है कि हमारा देश भ्रष्टाचार में कितने गहरे डूब चुका है। ये तो बहुत हाई प्रोफाइल मामला है, लेकिन सच्चाई तो ये है कि हमारे यहाँ ये भ्रष्टाचार चपरासी स्तर से ही शुरू हो जाता है। इसी सिलसिले में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के एक घटनाक्रम का उदाहरण देना बड़ा ही समीचीन लगता है, जिसमें आठों प्रवर्तन जोनों के कई सुपरवाइज़रों को इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने समय पर और सटीक अवैध निर्माणों की सूचनाएं नहीं दीं। जबकि सच्चाई ये है कि इन सुपरवाइज़रों का काम अवैध निर्माणों को खोजकर प्रवर्तन जोन के अभियंताओं के संज्ञान में लाना है जिससे वे भवन निर्माताओं से सौदेबाजी कर सकें। अब भला ऐसे में उपाध्यक्ष महोदया इनका अंत:स्थानांतरण कर भी दें तो क्या होगा, दूसरे आनेवाले भी उसी काम पर लग जायेंगे।


जब से गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण की बागडोर उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने अपने हाथों में ली है तब से ही लगातार आए दिन पूरे जनपद में अवैध निर्माणों, भू-माफियाओं द्वारा सरकारी सम्पत्तियों पर अतिक्रमण आदि के खिलाफ बहुत तेजी से उनके आदेश पर ध्वस्तीकरण अभियान चल रहे हैं, जिसे हम रोज जीडीए के फेसबुक पेज पर देख सकते हैं कि कैसे अतिक्रमण व अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर प्रवर्तन ज़ोनों के अधिकारी छाती फुलाते हैं जैसे कि उन्होंने पूरे गाज़ियाबाद को ही अवैध निर्माण व अतिक्रमण मुक्त कर दिया हो, लेकिन कहते हैं न "हाथी के दांत दिखाने के और खाने के और होते हैं" ठीक उसी तरह जीडीए के अधिकारियों का भी यही हाल है। पूरे गाज़ियाबाद में हो रहे कई हजार अवैध निर्माणों में से चंद निर्माणों को ध्वस्त कर ये लोग जिस प्रकार जीडीए उपाध्यक्ष, गाज़ियाबाद प्रशासन व उत्तर प्रदेश शासन की आंखों में धूल झोंक रहे हैं उससे तो यही लगता है कि इन्हें किसी का भी लेशमात्र खौफ़ नहीं है। बारीकी से देखें तो पता चलेगा कि इन अधिकारियों-कर्मचारियों की ये कार्यशैली है कि जिन अवैध निर्माणों को ये ध्वस्त और सील दिखाते हैं दरअसल वो एक खानापूर्ति के सिवा कुछ नहीं है, क्योंकि वे सारे निर्माण इन्हीं अभियंताओं के संरक्षण में बदस्तूर जारी रहते हैं, जिससे शासन को करोड़ों रूपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है और शहर की ख़ूबसूरती भी तार-तार हो रही है, लेकिन इससे इन्हें कोई फर्क़ नहीं पड़ता क्यूंकि इन्हें अपनी जेबें भरने से मतलब होता है। अगर कोई शिकायत करे तो इनका जवाब होता है कि निर्माणकर्ता के खिलाफ न्यायालय में वाद दायर है, असल में ये हथकंडे किसी भी अवैध निर्माण को पूरा करवाने में जीडीए प्रवर्तन जोन प्रभारियों की पहली रणनीति होती है। जब तक न्यायालय में मुकद्दमा चलेगा तब तक तो निर्माण पूरा हो ही जाएगा और जेबें भी गरम होती रहेंगी या यूँ कहें कि पूरा हो के भी 20वों साल निकल चुके होंगे, दूसरा जवाब नक्शा पास है, भाई वो तो होगा ही लेकिन क्या नक्शे के अनुसार निर्माण किया जा रहा है, तीसरा बिना आदेश भू-जल दोहन, अग्निश्‍मन विभाग का एन.ओ.सी लेटर लिए बिना निर्माण को कंप्लीशन सर्टिफिकेट मुहैया करवा देना, एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए खुले में निर्माण होने देना आदि ऐसी बहुत सारी बातें हैं जो अभियंताओं और अधिकारियों को कमाई का स्वर्णिम अवसर देती हैं। 


ऐसे ही कई मामले गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण के प्रवर्तन जोन 03 स्थित स्वर्ण जयंतीपुरम् से संबंधित हैं जहां जोन के अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता व अवर अभियंताओं की छात्रछाया में सैकड़ों अवैध निर्माण तेजी से हो रहे हैं जिनकी सुध उपाध्यक्ष महोदया को बिल्कुल नहीं है। हमारे समाचार पत्र डाटला एक्सप्रेस द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत हमारे रिपोर्टरों द्वारा कुछ अवैध निर्माणों को चिन्हित किया गया है जिनकी जनहित में शिकायत जीडीए वीसी, जिलाधिकारी गाज़ियाबाद, मंडलायुक्त मेरठ, शहरी विकास मंत्रालय एवं मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को की जा रही है जिससे उन भ्रष्‍ट अधिकारियों, जिनकी वज़ह से सरकार को करोड़ों के राजस्‍व का नुकसान उठाना पड़ रहा है, पर बहुत सख़्त विभागीय और आपराधिक कानूनों के तहत कार्रवाई की जा सके। आगे भी शासन और प्रशासन के संज्ञान में हमारे समाचार पत्र द्वारा अवैध निर्माणों को लाया जाता रहेगा। अब सवाल ये उठता है कि इतनी सटीक स्थलीय सूचना के बाद क्या जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा इन सैटबैक एरिया का उल्लंघन, अतिरिक्त छज्जा, पार्किंग एरिया पर दुकान, अतिरिक्त कवर एरिया एवं यूनिट्स के साथ किये गये मानचित्र के विरुद्ध निर्माणों एवं जिम्मेदार अभियंताओं पर कार्रवाई करने का साहस जुटा पाती हैं या ऐसे ही इसे डस्टबीन में डाल देंगी। 


स्वर्ण जयंतीपुरम् प्रवर्तन जोन 03 में चालू अवैध निर्माणों की बोलती तस्वीरें:
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प्लॉट संख्या बी-105 स्वर्ण जयंती पुरम गाज़ियाबाद



प्लॉट संख्या बी-74 स्वर्ण जयंती पुरम गाज़ियाबाद



प्लॉट संख्या ई -197 स्वर्ण जयंती पुरम गाज़ियाबाद



प्लॉट संख्या ई-217 स्वर्ण जयंती पुरम गाज़ियाबाद



प्लॉट संख्या बी-139 स्वर्ण जयंती पुरम गाज़ियाबाद



प्लॉट संख्या बी-175 स्वर्ण जयंती पुरम गाज़ियाबाद


 


डाटला एक्सप्रेस
संपादक:राजेश्वर राय "दयानिधि"
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