तारक पुष्प की स्निग्धता तन मन में,
सिमटे सकल काले बादल तुम्हारे बालों में,
चंदा ने तुम्हें अपना दमकता रूप दिया,
पूनम की चांदनी है बिखरी तेरे गालों में ।
तुम कली खिली नई नई,
या परी कोई खूबसूरत सी।
सरगम की हो एक अदा नई,
या बुत हो कोई संगमरमर की।
अपनी जुल्फों को जब तुमने झटका ,
आसमाँ में घिर गई घनी काली घटा,
झूम झूम कर बरसने लगा पानी।
नियति भी बन गई रूप की रानी।
आँचल खिसका हौले हौले,
भीगे तन से चुनरी खिसकी ,
प्रेमोन्मत हो उठा सारा तन,
अंतस में मानो बिजली कड़की।
रूप तुम्हें विधि ने कुछ ऐसा दिया,
मानो निज हाथों से है तुम्हें गढ़ा,
जैसे स्वर्णिम से दमकती काया में,
हीरे का बहुमूल्य नगीना जड़ा।
उपलब्ध शब्द नहीं, जिनमें समेट सकूँ,
इस अतुलित रूप की मादकता को,
प्रिये, समझ लेना मेरी अभिव्यक्ति को
या उहापोह में फंसी मेरी जड़ता को।
कवि परिचय
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नाम:-सतीश वर्मा
शैक्षणिक योग्यता:-स्नातक (अभियांत्रिकी)
पेशा:-रक्षा मंत्रालय के प्रशिक्षण संस्थान से प्रबंधकीय पद से सेवानिवृत्त, वर्तमान में रक्षा मंत्रालय की शिक्षण संस्थाओं और निजी शिक्षण संस्थाओं में इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट विषयों के अतिथि फैकल्टी।
निवास:-सम्प्रति में मुम्बई में विगत 15 वर्षों से।
अभिरूचि:-कविता, कहानी, आलेख और समीक्षालेखन।
साहित्यिक उपलब्धि:-1. छबि सुषमा (काव्य संग्रह) 2. काव्य कुंज (काव्य संग्रह) 3. स्मृति अरण्य (कहानी संग्रह) 4. चक्कर पे चक्कर (हास्य नाटक) प्रकाशित एवं विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं और सुविज्ञ साहित्यकारों से प्रशंसित।
प्रकाशनाधीन:-1. तुम बहुत याद आती हो 2. यादों के झरोखे से (काव्य संग्रह)
सांझा संग्रह(प्रकाशित) 1- मीठी सी तल्खियां भाग-दो 2- उत्कर्ष काव्य संग्रह 3. विहग प्रीति के 4- संदल सुगंध और अन्य कई।
सम्मान:-विभिन्न साहित्यिक मंचों से,साथ ही रक्षा मंत्रालय के संस्थानों से, काव्य-रत्न, काव्य शिरोमणि, कवि-भूषण और सर्वश्रेष्ठ समीक्षक (हिन्दी साहित्य एकेडमी से), आदि अनेकों सम्मान प्राप्त।
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(प्रस्तुति: डाटला एक्सप्रेस/साप्ताहिक/गाज़ियाबाद (उ०प्र०) 31 जुलाई से 06 अगस्त 2019/प्रत्येक बुधवार/संपादक: राजेश्वर राय 'दयानिधि'/email: rajeshwar.azm@gmail.com/datlaexpress@gmail.com/दूरभाष: 8800201131/व्हाट्सप: 9540276160