कविता श्रृंगार-दशकम् ,रचनाकर: राम ममगाँई 'पंकज'

श्रृंगार-दशकम्
--------------------


भैया की बारात में
मिली मुझे रात में
छोटी मुलाकात में
मीठी मीठी बात में
अब खो गए हम
उसके हो गए हम


प्राण नहीं गात में
दिल नहीं साथ में
मन नहीं हाथ में
नींदे नहीं रात में
अब खो गए हम
उसके हो गए हम


नखरे हजार है
रोज बाजार है
वो गंगा पार है
वो मेरी यार है
अब खो गए हम
उसके हो गए हम


कहती है शान से
मेरे लिए जान दे
मेरी बाते ध्यान दे
मेरी बातें मान ले
अब खो गए हम
उसके हो गए हम


वो मुझे सताती है
वो मुझे बताती है
मेरे लिए जीना है
मेरे अधर पीना है
अब खो गए हम
उसके हो गए हम


तेरे लिए नथनी है
ये उसकी कथनी है
तेरे लिए दिन राते
है उसकी ये बाते
अब खो गए हम
उसके हो गए हम


उसकी ही यादों मे
सावन में भादों में
भीगे हम पानी में
उसकी नादानी में
अब खो गए हम
उसके हो गए हम


दिल में उसका राज है
यही उसका काज है
अद्भुत उसका साज है
सपनों में वह आज है
अब खो गए हम
उसके हो गए हम


वो बडी दिलदार है
आँखे उससे चार है
दिल मेरा बेकरार है
शादी को तैयार है
अब खो गए हम
उसके हो गए हम


चन्दा सा चेहरा है
दिल मुझे दे रहा है
मुझे वो कह रह है
दिल मे मेरा पहरा है
अब खो गए हम
उसके हो गए हम
_______________
प्रस्तुति: डाटला एक्सप्रेस 30/01/2019



कवि राम ममगाँई 'पंकज'


Comments
Popular posts
एडवोकेट सोनिया बोहत को बाला जी मंदिर कमेटी ने किया सम्मानित
Image
भक्त कवि श्रद्धेय रमेश उपाध्याय बाँसुरी की स्मृति में शानदार कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन।
Image
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की छत्रछाया में अवैध फैक्ट्रियों के गढ़ गगन विहार कॉलोनी में हरेराम नामक व्यक्ति द्वारा पीतल ढलाई की अवैध फैक्ट्री का संचालन धड़ल्ले से।
Image
सरकारी राशन की दुकान मालिक मैसर्स अब्दुल कलाम व अरविंद कुमार उड़ा रहे राज्य सरकार के आदेशों की धज्जियां
Image
जर्जर बिजली का खंभा दे रहा हादसे को न्यौता, यदि हुआ कोई हादसा तो होगा भारी जान माल का नुकसान।
Image