"चंदामामा"
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चंदा मामा....चंदा मामा,
हम बच्चों से मेल मिलाना।
नन्हें-नन्हें....साथी हैं हम,
आज मधुर तुम गीत सुनाना।।
नील गगन का भाल सजाकर,
गोल चपाती....से तुम लगते।
हाथ बढ़ाकर...जब हम पकड़ें,
देख दूर से....हमको हँसते।।
छत पर चढ़ हम....मिलने आएं,
हँसकर हमको....गले लगाना।
साथ सितारों.... को लेकर तुम,
लुका-छिपी का खेल खिलाना।।
घटता-बढ़ता....रूप तुम्हारा,
आज हमें भी....तुम दिखलाना।
धरती के पा....सपन सलोने,
बाँट प्रेम से.... सब इठलाना।।
खील-बताशे....लेकर आए,
अपने हाथों....हमें खिलाना।
प्यारे मामा.... कहलाते हो,
दिव्य लोक की....सैर कराना।।
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डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)